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हमारा नाम पुकारे हमारे घर आए | शाही शायरी
hamara nam pukare hamare ghar aae

ग़ज़ल

हमारा नाम पुकारे हमारे घर आए

गुलनार आफ़रीन

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हमारा नाम पुकारे हमारे घर आए
ये दिल तलाश में जिस की है वो नज़र आए

न जाने शहर-ए-निगाराँ पे क्या गुज़रती है
फ़ज़ा-ए-दश्त-ए-अलम कोई तो ख़बर आए

निशान भूल गई हूँ मैं राह-ए-मंज़िल का
ख़ुदा करे कि मुझे याद-ए-रहगुज़र आए

मैं आँधियों में भी फूलों के रंग पढ़ लूँगी
तिरे बदन की महक लौट कर अगर आए

ग़ुबार ग़म का दयार-ए-वफ़ा में उड़ता है
मगर ये अश्क बहुत काम चश्म-ए-तर आए

सफ़र का रंग हसीं क़ुर्बतों का हामिल हो
बहार बन के कोई अब तो हम-सफ़र आए

नई सहर का मैं 'गुलनार' इस्तिआरा हूँ
फ़ज़ा-ए-तीरा-शबी ख़त्म हो सहर आए