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हमारा मक़्सद अगर सफ़र है तवील करना | शाही शायरी
hamara maqsad agar safar hai tawil karna

ग़ज़ल

हमारा मक़्सद अगर सफ़र है तवील करना

राज़िक़ अंसारी

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हमारा मक़्सद अगर सफ़र है तवील करना
शुमार ऐसे में किस लिए संग-ए-मील करना

अगर मोहब्बत के केस में हो हमारी पेशी
हमारी मानो तो अपने दिल को वकील करना

हमारे घर में जिधर से नफ़रत का दाख़िला है
बहुत ज़रूरी है ऐसे रस्तों को सील करना

दिलों के रिश्ते को एक साज़िश का नाम दे कर
है उन का मक़्सद मोहब्बतों को ज़लील करना

हमें पता है तुम्हें जो ये सब सिखा रहा है
अगर सुनो सच तो पेश झूटी दलील करना