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हम तुम जब भी प्यार करेंगे जान-ओ-दिल सदक़े होंगे | शाही शायरी
hum tum jab bhi pyar karenge jaan-o-dil sadqe honge

ग़ज़ल

हम तुम जब भी प्यार करेंगे जान-ओ-दिल सदक़े होंगे

एजाज़ गुल

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हम तुम जब भी प्यार करेंगे जान-ओ-दिल सदक़े होंगे
रूहों की ख़ुश्बू में होंगी बाहोँ के गजरे होंगे

पेशरवो तुम बीत चुके अब हम लोगों की बारी है
ज़िंदानों के दर तो वा हों हम आगे आगे होंगे

गुमनामी की गलियों में तारीख़ कहाँ तक पहुँचेगी
एक तुम्ही सुक़रात नहीं हो और बहुत गुज़रे होंगे

हुस्न अगर ज़ंजीर किया है इश्क़ भी फिर ज़ंजीर करो
वर्ना बात बहुत फैलेगी दूर तलक चर्चे होंगे

ऐ चकवाल से आने वालो कुछ तो हाल-अहवाल कहो
फूल से आरिज़ चाँद से चेहरे तुम ने भी देखे होंगे