हम से पहले तो कहीं प्यार न था शहर-ब-शहर
अपने हमराह ये सैलाब गया शहर-ब-शहर
ऐसे बदनाम हुईं अपनी महकती ग़ज़लें
जैसे आवारगी-ए-मौज-ए-सबा शहर-ब-शहर
लोग क्या क्या न गए तोड़ के पैमान-ए-वफ़ा
दिल की धड़कन ने मगर साथ दिया शहर-ब-शहर
हम कि 'मासूम' हैं देहात के रहने वाले
ढूँडते फिरते हैं क्या जानिए क्या शहर-ब-शहर
ग़ज़ल
हम से पहले तो कहीं प्यार न था शहर-ब-शहर
अहमद मासूम