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हम से बात में पेच न डाल | शाही शायरी
humse baat mein pech na Dal

ग़ज़ल

हम से बात में पेच न डाल

अंजुम रूमानी

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हम से बात में पेच न डाल
यूँ मत दिल के चोर निकाल

मरना है तो डरना क्या
चलता है क्यूँ चोर की चाल

जोगी को लोगों से काम
बीन बजा और साँप निकाल

आज का झगड़ा आज चुका
कल की बातें कल पर टाल

अपना झंझट आप नबेड़
अपनी गठरी आप सँभाल

बढ़ी है उतनी आबादी
पड़ा इंसानों का काल

'अंजुम' इश्क़ का दावा था
कैसा हाल है? कैसा हाल