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हम सब को बताते रहते हैं ये बात पुरानी काम की है | शाही शायरी
hum sab ko batate rahte hain ye baat purani kaam ki hai

ग़ज़ल

हम सब को बताते रहते हैं ये बात पुरानी काम की है

अंजुम बाराबंकवी

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हम सब को बताते रहते हैं ये बात पुरानी काम की है
दस बीस घरों में चर्चे हों तब जा के जवानी काम की है

ये वक़्त अभी थम जाएगा माहौल में दिल रम जाएगा
बस आप यूँही बैठे रहिए ये रात सुहानी काम की है

आसान भी है दुश्वार भी है दुख-सुख का बड़ा बाज़ार भी है
मालूम नहीं तो मुझ से सुनो ये दुनिया दिवानी काम की है

मशहूर भी हैं बदनाम भी हैं ख़ुशियों के नए पैग़ाम भी हैं
कुछ ग़म के बड़े इनआ'म भी हैं पढ़िए तो कहानी काम की है

जो लोग चले हैं रुक रुक कर हमवार ज़मीं पर झुक झुक कर
वो कैसे बताएँगे तुम को दरिया की रवानी काम की है