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हम ने तो काट ली है सज़ा आप ख़ुश रहें | शाही शायरी
humne to kaT li hai saza aap KHush rahen

ग़ज़ल

हम ने तो काट ली है सज़ा आप ख़ुश रहें

पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"

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हम ने तो काट ली है सज़ा आप ख़ुश रहें
महफ़ूज़ तुम को रक्खे ख़ुदा आप ख़ुश रहें

दो-पल मिले ख़ुशी के हैं उन को सँवार लें
कल की ख़बर है किस को पता आप ख़ुश रहें

पाया सुकून हम ने था बाँहों में आप की
फिर से नसीब होगा वो क्या आप ख़ुश रहें

सामान अपना बाँध के तुम उठ के चल दिए
चारों तरफ़ है बहकी हवा आप ख़ुश रहें

चाहे तमाम ज़ख़्म दो या दो हमें दवा
है आरज़ू ये दिल कि सदा आप ख़ुश रहें

महसूस हो रही हैं बढ़ी दिल की धड़कनें
अंतिम पड़ाव हो न मिरा आप ख़ुश रहें

'आज़र' ज़रा सी बात को यूँ तूल तुम न दो
ग़ुस्सा नहीं है उस की दवा आप ख़ुश रहें