EN اردو
हम ने तो इस इश्क़ में यारो खींचे हैं आज़ार बहुत | शाही शायरी
humne to is ishq mein yaro khinche hain aazar bahut

ग़ज़ल

हम ने तो इस इश्क़ में यारो खींचे हैं आज़ार बहुत

रसा चुग़ताई

;

हम ने तो इस इश्क़ में यारो खींचे हैं आज़ार बहुत
तुम कुछ उस की बात करो है जिस से तुम को प्यार बहुत

लोग हम ऐसे नादानों को आएँगे समझाने भी
तेरा ग़म फिर तेरा ग़म है ग़म है तो ग़म-ख़्वार बहुत

आए मौसम-ए-गुल देखें वो किस किस को ज़ंजीर करें
अब के सुना है अहल-ए-चमन भी बैठे हैं बेज़ार बहुत

इन को बेहिस जान न साक़ी अव्वल-ए-शब है बादा-नोश
रात ढले महसूस करेंगे शीशे की झंकार बहुत

अपना अपना हुस्न-ए-नज़र है अपनी अपनी मंज़िल है
शर्त मयस्सर आता है तो साया-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार बहुत