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हम ने माना हमें बर्बाद करेगी दुनिया | शाही शायरी
humne mana hamein barbaad karegi duniya

ग़ज़ल

हम ने माना हमें बर्बाद करेगी दुनिया

मोहम्मद मंशाउर्रहमान ख़ाँ मंशा

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हम ने माना हमें बर्बाद करेगी दुनिया
कर के बर्बाद मगर याद करेगी दुनिया

जब उसे ज़ुल्म-ओ-सितम ही में मज़ा आता है
किसी नाशाद को क्या शाद करेगी दुनिया

देखना ये है कि हम अहल-ए-जुनूँ पर कब तक
नित नए तर्ज़ की बेदाद करेगी दुनिया

आज तू अपनी करामात पे इतराती है
कल मगर आप ही फ़रियाद करेगी दुनिया

दुश्मनी है उसे अरबाब-ए-वफ़ा से लेकिन
ये न होंगे तो इन्हें याद करेगी दुनिया

नहीं मा'लूम यूँही ख़ुद को कहाँ तक 'मंशा'
क़ैद-ए-अख़लाक़ से आज़ाद करेगी दुनिया