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हम ने अपने आप से जब बात की | शाही शायरी
humne apne aap se jab baat ki

ग़ज़ल

हम ने अपने आप से जब बात की

विश्वनाथ दर्द

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हम ने अपने आप से जब बात की
आ गई रस्ते में इक दीवार सी

अपने दरवाज़े पे दस्तक दे कोई
एक सन्नाटे पे दुनिया खो गई

कौन से नुक़्ते पे ला कर तोड़ते
उम्र-ए-रफ़्ता तेरी यादों की कड़ी

'दर्द' अपना हम तआरुफ़ दें तो क्या
हम तो अपने आप से हैं अजनबी