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हम को याँ दर दर फिराया यार ने | शाही शायरी
hum ko yan dar dar phiraya yar ne

ग़ज़ल

हम को याँ दर दर फिराया यार ने

नियाज़ बरेलवी

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हम को याँ दर दर फिराया यार ने
ला-मकाँ में घर बनाया यार ने

आप अपने देखने के वास्ते
हम को आईना बनाया यार ने

अपने इक अदना तमाशे के लिए
हम को सूली पर चढ़ाया यार ने

आप छुप के हम को कर के रू-ब-रू
ख़ूब ही रुस्वा कराया यार ने

आप तो बुत बन के की जल्वागरी
और हमें काफ़िर बनाया यार ने