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हम हो गए शहीद ये एज़ाज़ तो मिला | शाही शायरी
hum ho gae shahid ye eazaz to mila

ग़ज़ल

हम हो गए शहीद ये एज़ाज़ तो मिला

ख़ालिद यूसुफ़

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हम हो गए शहीद ये एज़ाज़ तो मिला
अहल-ए-जुनूँ को नुक्ता-ए-आग़ाज़ तो मिला

हम को जो सन रहा है वो मुख़्बिर सही मगर
महफ़िल में कोई गोश-बर-आवाज़ तो मिला

वो कारवान-ए-शब का हुआ आख़िरी चराग़
लो शैख़ को ये मंसब-ए-मुम्ताज़ तो मिला

हम औलिया नहीं थे जो दिल फेरते मगर
उस को भी गुफ़्तुगू का इक अंदाज़ तो मिला

हम ख़ुद ही बे-सुरे थे क़सीदा न पढ़ सके
इस बज़्म में इशारा-ए-आवाज़ तो मिला

ख़ालिद ये रंग-ए-शहर न था हम से पेशतर
सद-शुक्र करगसों को कोई बाज़ तो मिला