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हम एक हैं हम एक हैं हम एक रहेंगे | शाही शायरी
hum ek hain hum ek hain hum ek rahenge

ग़ज़ल

हम एक हैं हम एक हैं हम एक रहेंगे

मोहम्मद हाज़िम हस्सान

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हम एक हैं हम एक हैं हम एक रहेंगे
हम दे के ख़ुशी औरों को दुख उन का सहेंगे

हम फूल हैं ख़ुश्बू ही सदा देंगे जहाँ को
हरगिज़ न कभी काँटा कहीं बन के चुभेंगे

हम नर्म-कलामी के मोहब्बत के हैं ख़ूगर
अख़्लाक़ हर इक हाल में बेहतर ही रहेंगे

मुस्कान हमें देनी है दुश्मन के लबों पर
आँखों से किसी की न यहाँ अश्क बहेंगे

हाँ अक़्ल-ओ-ख़िरद से जिन्हें निस्बत नहीं होगी
ख़ुद-कर्दा गुनाहों से बलाओं में फसेंगे

वो तुम को मिले दैर-ओ-हरम में नहीं मुमकिन
'हस्सान' उसे ढूँड दिलों में ये कहेंगे