हम दोनों ने नाम लिखा था साहिल पर
और दिल का पैग़ाम लिखा था साहिल पर
तन्हाई थी और सुनहरी लहरें थीं
सूरज ने जब शाम लिखा था साहिल पर
घर में तो हर सू था वहशत का साया
क़िस्मत में आराम लिखा था साहिल पर
इक साधू ने राख मली थी चेहरे पर
और पोरों से राम लिखा था साहिल पर
कूद गए सब रिंद समुंदर में 'शाहिद'
साक़ी ने बस जाम लिखा था साहिल पर
ग़ज़ल
हम दोनों ने नाम लिखा था साहिल पर
शाहिद फ़रीद