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हम बुरा करते या भला करते | शाही शायरी
hum bura karte ya bhala karte

ग़ज़ल

हम बुरा करते या भला करते

ओबैदुर् रहमान

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हम बुरा करते या भला करते
सोच कर कोई फ़ैसला करते

तुम तअल्लुक़ का पास तो रखते
ख़ुश न करते हमें ख़फ़ा करते

दोस्तो काश दुख के लम्हों में
तुम दवा करते हम दुआ करते

कर दी दुश्वार रहगुज़ार-ए-ज़ीस्त
और क्या काम रहनुमा करते

रखते रिश्तों में यूँ तवाज़ुन हम
कुछ वफ़ा करते कुछ जफ़ा करते

सर उठाते क़ुबूलियत के ब'अद
सज्दा-ए-शौक़ यूँ अदा करते

बात थी जब कि बुत-कदे में 'उबैद'
बैठ कर तुम ख़ुदा ख़ुदा करते