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हैं बहुत देखे चाहने वाले | शाही शायरी
hain bahut dekhe chahne wale

ग़ज़ल

हैं बहुत देखे चाहने वाले

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी

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हैं बहुत देखे चाहने वाले
पर मिले कम निबाहने वाले

हम तुम्हारे हों चाहने वाले
तुम अगर हो निबाहने वाले

आब-ए-शमशीर के पियासे हैं
तेरे बिस्मिल कराहने वाले

आ के दुनिया में ऐ दिल-ए-नादाँ
काम मत कर उलाहने वाले

चाहे चाहे न चाहे चाहे वो
हम तो हैं उस के चाहने वाले

नहीं वो दोस्त बल्कि हैं दुश्मन
हैं जो तेरे सराहने वाले

'मशरिक़ी' बस बिगाड़ देते हैं
उन बुतों को सराहने वाले