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हैफ़ है ऐसी ज़िंदगानी पर | शाही शायरी
haif hai aisi zindagani par

ग़ज़ल

हैफ़ है ऐसी ज़िंदगानी पर

मीर मोहम्मदी बेदार

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हैफ़ है ऐसी ज़िंदगानी पर
कि फ़िदा हो न यार-ए-जानी पर

तेरी गुल-कारी अब्र हो बर्बाद
गर फ़िदा हो न यार-ए-जानी पर

हाल सुन सुन के हँस दिया मेरा
कुछ तो आया है मेहरबानी पर

ख़ून कुश्तों के हो गया दिल का
तेरी दस्तार-ए-अर्ग़वानी पर

रात 'बेदार' वो मह-ए-ताबाँ
सुन के रोया मिरी कहानी पर