है तिरा इंतिज़ार गुलशन में
रो रही है बहार गुलशन में
आज फिर दामन-ए-उमीद मिरा
हो गया तार तार गुलशन में
पत्तियाँ कब बिखेर दें झोंके
किस को है ए'तिबार गुलशन में
किस क़दर सख़्त-जान था 'अंजुम'
जो रहा सोगवार गुलशन में
ग़ज़ल
है तिरा इंतिज़ार गुलशन में
सरदार अंजुम