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है तिरा इंतिज़ार गुलशन में | शाही शायरी
hai tera intizar gulshan mein

ग़ज़ल

है तिरा इंतिज़ार गुलशन में

सरदार अंजुम

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है तिरा इंतिज़ार गुलशन में
रो रही है बहार गुलशन में

आज फिर दामन-ए-उमीद मिरा
हो गया तार तार गुलशन में

पत्तियाँ कब बिखेर दें झोंके
किस को है ए'तिबार गुलशन में

किस क़दर सख़्त-जान था 'अंजुम'
जो रहा सोगवार गुलशन में