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है अयाँ रू-ए-यार आँखों में | शाही शायरी
hai ayan ru-e-yar aaankhon mein

ग़ज़ल

है अयाँ रू-ए-यार आँखों में

शाह आसिम

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है अयाँ रू-ए-यार आँखों में
छाई है क्या बहार आँखों में

शोले उठते हैं बार बार अजीब
कौन है शम्अ-वार आँखों में

कौन है शहसवार-ए-तौसन-ए-हुस्न
जिस का है ये ग़ुबार आँखों में

कैसी मय तू ने दी पिला मुझ को
अब तलक है ख़ुमार आँखों में

दिल है बुलबुल सिफ़त ब-नाला-ओ-आह
कौन है गुल-एज़ार आँखों में

शौक़ में किस की है निकल आया
दिल-ए-पुर-इज़्तिरार आँखों में

उबल आता है किस की शौक़ में आह
ख़ून-ए-दिल बार बार आँखों में

हर तरफ़ है अयाँ रुख़-ए-दिलदार
है ख़िज़ाँ नौ-बहार आँखों में

फ़ैज़-ए-ख़ादिम-सफ़ी से है 'आसिम'
जल्वा-गर हुस्न-ए-यार आँखों में