हद-ए-नज़र से मिरा आसमाँ है पोशीदा
ख़याल-ओ-ख़्वाब में लिपटा जहाँ है पोशीदा
चला मैं जानिब-ए-मंज़िल तो ये हुआ मालूम
यक़ीं गुमान में गुम है गुमाँ है पोशीदा
पलक पे आ के सितारे ने दास्ताँ कह दी
जो दिल में आग है उस का धुआँ है पोशीदा
उफ़ुक़ से ता-बा-उफ़ुक़ है सराब फैला हुआ
और इस सराब में सारा जहाँ है पोशीदा
सितारा क्या मुझे अफ़्लाक की ख़बर देगा?
नज़र से उस की तो मेरा जहाँ है पोशीदा
तू ख़ुद है ख़ार-अो-ज़बूँ हिर्स-ओ-आज़-ए-दुनिया में
खुलेगा तुझ पे कहाँ जो जहाँ है पोशीदा
मैं आँख खोल के तकता हूँ दूर तक 'अनवर'
कि ढूँड लूँ जो मिरा आशियाँ है पोशीदा
ग़ज़ल
हद-ए-नज़र से मिरा आसमाँ है पोशीदा
अनवर सदीद