हाँ उसी दिन धूप में हरियालियाँ शामिल हुईं
इस ज़मीं की ज़र्दियों में लालियाँ शामिल हुईं
बाद-ए-आज़ादी में हम सब नाचने वालों के साथ
फूल पहने रक़्स करती डालियाँ शामिल हुईं
बू-ए-गुल से जानिए क्यूँ बू-ए-ख़ूँ आने लगी
बाग़ में जब से तिरी रखवालियाँ शामिल हुईं
क़हर तो उस वक़्त टूटा था सफ़-ए-आ'दा में जब
चश्म-ओ-लब से क़त्ल करने वालियाँ शामिल हुईं
ख़ैर को शर और शर को ख़ैर करने में यहाँ
जानिए किन किन की बद-आमालियाँ शामिल हुईं
इतना प्यारा हो गया हूँ दोस्तों को क्या कहूँ
जब भी मेरा ज़िक्र आया गालियाँ शामिल हुईं
ग़ज़ल
हाँ उसी दिन धूप में हरियालियाँ शामिल हुईं
आफ़ताब इक़बाल शमीम