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हालात न बदलें तो इसी बात पे रोना | शाही शायरी
haalat na badlen to isi baat pe rona

ग़ज़ल

हालात न बदलें तो इसी बात पे रोना

शुजा ख़ावर

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हालात न बदलें तो इसी बात पे रोना
बदलें तो बदलते हुए हालात पे रोना

पड़ जाएगा तुम को भी ग़म-ए-ज़ात पे रोना
जिस बात पे हँसते हो उसी बात पे रोना

इज़हार में क़ुव्वत है तो मिल जाएगा मौज़ूअ'
सूखा नहीं पड़ता है तो बरसात पे रोना

इस शहर में सब ठीक है क्या सोच रहे हो
रोना है तो अपने ही ख़यालात पे रोना

मैं आप की इस सर्द-मिज़ाजी पे हँसूँगा
और आप मिरी शिद्दत-ए-जज़्बात पे रोना