गुज़रते वक़्त को बुनियाद करने वाला हूँ
जो सब भुलाते हैं वो याद करने वाला हूँ
मैं वो नहीं हूँ कि फ़रियाद करने वाला हूँ
सुकूत को सुख़न-ईजाद करने वाला हूँ
अँधेरी रात और उस पर मिरे चराग़ का ज़ोम
उजड़ती बज़्म को आबाद करने वाला हूँ
मैं अपना कार-ए-वफ़ा आज़माऊँगा फिर भी
कहाँ मैं तेरे सितम याद करने वाला हूँ
मैं अंदलीब हूँ इक गुलशन-ए-मोहब्बत का
सो मैं भी कुछ मिरे सय्याद करने वाला हूँ
ग़ज़ल
गुज़रते वक़्त को बुनियाद करने वाला हूँ
ऐन ताबिश