गिन रहे हैं दिल-ए-नाकाम के दिन
फिर वही गर्दिश-ए-अय्याम के दिन
दुख से आग़ाज़ और ग़म पे अख़ीर
हम ने पाए बड़े इनआ'म के दिन
है यही सोच कर आराम हमें
मिल गए हैं उन्हें आराम के दिन
अब नहीं काम कोई दुनिया का
गोया ये दिन हैं बड़े काम के दिन
हैं वो फिर से मिरे नज़दीक 'नईम'
आए अंदेशा-ए-अंजाम के दिन
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ग़ज़ल
गिन रहे हैं दिल-ए-नाकाम के दिन
नईम जर्रार अहमद