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गीत के बाद भी गाए जाऊँ | शाही शायरी
git ke baad bhi gae jaun

ग़ज़ल

गीत के बाद भी गाए जाऊँ

रईस फ़रोग़

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गीत के बाद भी गाए जाऊँ
अपनी आवाज़ सुनाए जाऊँ

कोई ऐसा हो कि देखे जाए
मैं जहाँ तक नज़र आए जाऊँ

इस हवस में कि अंधेरा न रहे
घर में जो कुछ है जलाए जाऊँ

फैलती जाए ख़मोशी मुझ में
और मैं शोर मचाए जाऊँ

अपनी आँखों को शब ओ रोज़ 'फ़रोग़'
ख़्वाब ही ख़्वाब दिखाए जाऊँ