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घटा जब रक़्स करती है तो उन की याद आती है | शाही शायरी
ghaTa jab raqs karti hai to unki yaad aati hai

ग़ज़ल

घटा जब रक़्स करती है तो उन की याद आती है

अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन

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घटा जब रक़्स करती है तो उन की याद आती है
कभी जब मेंह बरसती है तो उन की याद आती है

कोई नाज़ुक-बदन मिलता है जब अज़-राह-ए-बेगाना
तबीअत भीग जाती है तो उन की याद आती है

हवा जब ले के आती है गुलाबी अजनबी ख़ुशबू
कली सी दिल में खिलती है तो उन की याद आती है

सवेरा ले के आता है मिरे ख़्वाबों की ताबीरें
मगर जब शाम होती है तो उन की याद आती है