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गर्दिश-ए-मीना-ओ-जाम देखिए कब तक रहे | शाही शायरी
gardish-e-mina-o-jam dekhiye kab tak rahe

ग़ज़ल

गर्दिश-ए-मीना-ओ-जाम देखिए कब तक रहे

ज़ेहरा निगाह

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गर्दिश-ए-मीना-ओ-जाम देखिए कब तक रहे
हम पे तक़ाज़ा-ए-हराम देखिए कब तक रहे

तेरा सितम हम पे आम देखिए कब तक रहे
तल्ख़ी-ए-दौराँ पे नाम देखिए कब तक रहे

छा गईं तारीकियाँ खो गया हुस्न-ए-नज़र
वादा-ए-दीदार-ए-आम देखिए कब तक रहे

अहल-ए-ख़िरद सुस्त-रौ अहल-ए-जुनूँ तेज़-गाम
शौक़ का ये एहतिमाम देखिए कब तक रहे

सुब्ह के सूरज की ज़ौ देखिए कब तक न आए
दहर पे ये रंग-ए-शाम देखिए कब तक रहे