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गर दुआ भी कोई चीज़ है तो दुआ के हवाले किया | शाही शायरी
gar dua bhi koi chiz hai to dua ke hawale kiya

ग़ज़ल

गर दुआ भी कोई चीज़ है तो दुआ के हवाले किया

फ़रहत अब्बास शाह

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गर दुआ भी कोई चीज़ है तो दुआ के हवाले किया
जा तुझे आज से हम ने अपने ख़ुदा के हवाले किया

एक मुद्दत हुई हम ने दुनिया की हर एक ज़िद छोड़ दी
एक मुद्दत हुई हम ने दिल को वफ़ा के हवाले किया

इस तरह हम ने तेरी मोहब्बत ज़माने के हाथों में दी
जिस तरह गुल ने ख़ुश्बू को बाद-ए-सबा के हवाले किया

बेबसी सी अजब ज़िंदगी में इक ऐसी भी आई कि जब
हम ने चुप-चाप हाथों को रस्म-ए-हिना के हवाले किया

ख़ून ने तेरी यादें सुलगती हुई रात को सौंप दीं
आँसुओं ने तिरा दर्द रूखी हवा के हवाले किया