ग़मों की दुनिया को रौंद डालें नशात-ए-दिल पाएमाल कर लें
नई मोहब्बत नया जुनूँ है ख़ुदाया क्या अपना हाल कर लें
जो चार आँखें करो तो जानें नज़र मिला कर हँसो तो जानें
क़सम तुम्हारी अगर न तुम को शरीक-ए-रंज-ओ-मलाल कर लें
अजीब अरमाँ अजीब हसरत अजीब ख़्वाहिश अजीब वहशत
कि बन पड़े तो उन्हें भी अपनी तरह सरापा मलाल कर लें
वो एक लम्हा वो एक साअत हुआ था जब उन से अहद-ए-उल्फ़त
उसे भी क्या ऐ ख़ुदा-ए-राहत शरीक-ए-ख़्वाब-ओ-ख़्याल कर लें
ग़ज़ल
ग़मों की दुनिया को रौंद डालें नशात-ए-दिल पाएमाल कर लें
मुईन अहसन जज़्बी