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ग़म की तस्वीर बन गया हूँ मैं | शाही शायरी
gham ki taswir ban gaya hun main

ग़ज़ल

ग़म की तस्वीर बन गया हूँ मैं

मुईन अहसन जज़्बी

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ग़म की तस्वीर बन गया हूँ मैं
ख़ातिर-ए-दर्द-आश्ना हूँ मैं

हुस्न हूँ मैं कि इश्क़ की तस्वीर
बे-ख़ुदी तुझ से पूछता हूँ मैं

आह फिर दिल की याद आई है
ज़र्रे ज़र्रे को देखता हूँ मैं

ज़ब्त-ए-ग़म बे-सबब नहीं 'जज़्बी'
ख़लिश-ए-दिल बढ़ा रहा हूँ मैं