ग़म की तस्वीर बन गया हूँ मैं
ख़ातिर-ए-दर्द-आश्ना हूँ मैं
हुस्न हूँ मैं कि इश्क़ की तस्वीर
बे-ख़ुदी तुझ से पूछता हूँ मैं
आह फिर दिल की याद आई है
ज़र्रे ज़र्रे को देखता हूँ मैं
ज़ब्त-ए-ग़म बे-सबब नहीं 'जज़्बी'
ख़लिश-ए-दिल बढ़ा रहा हूँ मैं
ग़ज़ल
ग़म की तस्वीर बन गया हूँ मैं
मुईन अहसन जज़्बी