ग़म के मारों का है सहारा चाँद
कितना अच्छा है कितना प्यारा चाँद
ज़र्द चेहरा है चाँदनी फीकी
कहीं फ़ुर्क़त का हो न मारा चाँद
तू हर इक का है और किसी का नहीं
लोग कहते रहें हमारा चाँद
हम जहाँ जाएँ जिस तरफ़ जाएँ
साथ रहता है ये दिल-आरा चाँद
बढ़ गई और दिल की बेताबी
जाने क्या कर गया इशारा चाँद
हम तिरे पास ख़ुद चले आए
तेरी दूरी नहीं गवारा चाँद
रात-भर साथ था मगर 'नादिर'
सुब्ह-दम कर गया किनारा चाँद
ग़ज़ल
ग़म के मारों का है सहारा चाँद
अतहर नादिर