ग़म का कोई तो हल तलाश करें
ख़ूबसूरत महल तलाश करें
नफ़रतों के उजाड़ मौसम में
प्यार का कोई पल तलाश करें
भूक उगने लगी है बस्ती में
तिश्ना-लब लोग जल तलाश करें
कितने पागल हैं मेरे शहर के लोग
बाँझ मौसम में फल तलाश करें
तल्ख़ यादों को भूल कर 'शाहिद'
हाल में अपना कल तलाश करें
ग़ज़ल
ग़म का कोई तो हल तलाश करें
शाहिद फ़रीद