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ग़म जब उन का दिया हुआ ग़म है | शाही शायरी
gham jab un ka diya hua gham hai

ग़ज़ल

ग़म जब उन का दिया हुआ ग़म है

रईस नियाज़ी

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ग़म जब उन का दिया हुआ ग़म है
हैफ़ उस आँख पर जो पुर-नम है

दिल की आवाज़ लाख मद्धम है
दिल की आवाज़ में बड़ा दम है

ज़िंदगी में सुकून के तालिब
ज़िंदगी ख़ुद ही मुस्तक़िल ग़म है

उन के जाते ही ये हुआ महसूस
जैसे तारों में रौशनी कम है

चैन है तर्क-ए-आरज़ू के बअ'द
आरज़ूओं का नाम ही ग़म है

हर नफ़स मख़्ज़न-ए-अलम है 'रईस'
शुक्र है उम्र-ए-आदमी कम है