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ग़म हँसी में छुपा दिया होगा | शाही शायरी
gham hansi mein chhupa diya hoga

ग़ज़ल

ग़म हँसी में छुपा दिया होगा

अलमास शबी

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ग़म हँसी में छुपा दिया होगा
चश्म-ए-नम ने बता दिया होगा

भूल जाने की उस को आदत थी
उस ने मुझ को भुला दिया होगा

एक ख़त था सुबूत चाहत का
वो भी उस ने जला दिया होगा

रात चुपके से ले उड़ी थी हवा
राज़ दिल का बता दिया होगा

हिज्र के मारे दिल को भी उस ने
जाने कैसे सुला दिया होगा

फिर बुलाया है आज नासेह ने
गुल किसी ने खिला दिया होगा

है यक़ीं मुझ को ज़िक्र पर मेरे
वो फ़क़त मुस्कुरा दिया होगा