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गली गली है अंधेरा तो मेरे साथ चलो | शाही शायरी
gali gali hai andhera to mere sath chalo

ग़ज़ल

गली गली है अंधेरा तो मेरे साथ चलो

शमीम करहानी

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गली गली है अंधेरा तो मेरे साथ चलो
तुम्हें ख़याल है मेरा तो मेरे साथ चलो

मैं जा रहा हूँ उजालों की जुस्तुजू के लिए
सता रहा हो अंधेरा तो मेरे साथ चलो

जुनूँ के दश्त में इक छावनी बसा लेंगे
नहीं है कोई बसेरा तो मेरे साथ चलो

मैं राहज़न हूँ मगर आश्ना-ए-मंज़िल-ए-दिल
जो राहबर है लुटेरा तो मेरे साथ चलो

क़दम क़दम पे जलाता चलूँगा दिल के चराग़
जो रास्ता है अंधेरा तो मेरे साथ चलो

अगर चमन से ज़ियादा पसंद है तुम को
ग़रीब-ए-दश्त का डेरा तो मेरे साथ चलो

'शमीम' ज़ुल्मत-ए-दौराँ से जंग है दरपेश
जो चाहता हो सवेरा तो मेरे साथ चलो