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ग़ैरों का उस तरफ़ से गुज़ारा न जाएगा | शाही शायरी
ghairon ka us taraf se guzara na jaega

ग़ज़ल

ग़ैरों का उस तरफ़ से गुज़ारा न जाएगा

रज़ा अज़ीमाबादी

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ग़ैरों का उस तरफ़ से गुज़ारा न जाएगा
जब तक कि एक दो कहीं मारा न जाएगा

नर्गिस उगेगी सब्ज़े की जा ख़ाक से मिरी
यारों का मरने पर भी नज़ारा न जाएगा

ये दिल है लड़कों का न घरौंदा समझ इसे
बिगड़ा तो फिर किसी से सँवारा न जाएगा

घर पर रक़ीब-ए-ख़ाना-बर-अंदाज़ के 'रज़ा'
होगा अगर तू यार हमारा न जाएगा