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गाँव की आँख से बस्ती की नज़र से देखा | शाही शायरी
ganw ki aankh se basti ki nazar se dekha

ग़ज़ल

गाँव की आँख से बस्ती की नज़र से देखा

असअ'द बदायुनी

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गाँव की आँख से बस्ती की नज़र से देखा
एक ही रंग है दुनिया को जिधर से देखा

हम से ऐ हुस्न अदा कब तिरा हक़ हो पाया
आँख भर तुझ को बुज़ुर्गों के न डर से देखा

अपनी बाँहों की तरह मुझ को लगीं सब शाख़ें
चाँद उलझा हुआ जिस रात शजर से देखा

हम किसी जंग में शामिल न हुए बस हम ने
हर तमाशे को फ़क़त राहगुज़र से देखा

हर चमकते हुए मंज़र से रहे हम नाराज़
सारे चेहरों को सदा दीदा-ए-तर से देखा

फूल से बच्चों के शानों पे थे भारी बस्ते
हम ने स्कूल को दुश्मन की नज़र से देखा