ग़ाएब हर मंज़र मेरा
ढूँड परिंदे घर मेरा
जंगल में गुम फ़स्ल मिरी
नद्दी में गुम पत्थर मेरा
दुआ मिरी गुम सर-सर में
भँवर में गुम मेहवर मेरा
नाफ़ में गुम सब ख़्वाब मिरे
रेत में गुम बिस्तर मेरा
सब बे-नूर क़यास मिरे
गुम सारा दफ़्तर मेरा
कभी कभी सब कुछ ग़ाएब
नाम कि गुम अक्सर मेरा
मैं अपने अंदर की बहार
'बानी' क्या बाहर मेरा
ग़ज़ल
ग़ाएब हर मंज़र मेरा
राजेन्द्र मनचंदा बानी