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ग़ाएब हर मंज़र मेरा | शाही शायरी
ghaeb har manzar mera

ग़ज़ल

ग़ाएब हर मंज़र मेरा

राजेन्द्र मनचंदा बानी

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ग़ाएब हर मंज़र मेरा
ढूँड परिंदे घर मेरा

जंगल में गुम फ़स्ल मिरी
नद्दी में गुम पत्थर मेरा

दुआ मिरी गुम सर-सर में
भँवर में गुम मेहवर मेरा

नाफ़ में गुम सब ख़्वाब मिरे
रेत में गुम बिस्तर मेरा

सब बे-नूर क़यास मिरे
गुम सारा दफ़्तर मेरा

कभी कभी सब कुछ ग़ाएब
नाम कि गुम अक्सर मेरा

मैं अपने अंदर की बहार
'बानी' क्या बाहर मेरा