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फ़ित्ना-गर शोख़ी-ए-हया कब तक | शाही शायरी
fitna-gar shoKHi-e-haya kab tak

ग़ज़ल

फ़ित्ना-गर शोख़ी-ए-हया कब तक

ज़हीर देहलवी

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फ़ित्ना-गर शोख़ी-ए-हया कब तक
देखना और न देखना कब तक

बुत-कदा कुछ दर-ए-क़ुबूल नहीं
यास-ए-नाकामी-ए-दुआ कब तक

दर्द और दर्द भी जुदाई का
ऐसे बीमार की दुआ कब तक

एक मैं क्या अदू भी मरते हैं
निगह-ए-लुत्फ़-आश्ना कब तक

दिल में जोश-ए-हदीस-ए-कुफ़्र 'ज़हीर'
लब पे शोर-ए-ख़ुदा-ख़ुदा कब तक