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फ़रियाद करे किस से गुनहगार तुम्हारा | शाही शायरी
fariyaad kare kis se gunahgar tumhaara

ग़ज़ल

फ़रियाद करे किस से गुनहगार तुम्हारा

लाला माधव राम जौहर

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फ़रियाद करे किस से गुनहगार तुम्हारा
अल्लाह भी हाकिम भी तरफ़-दार तुम्हारा

काबे की तो क्या अस्ल है उस कूचे से आगे
जन्नत हो तो जाए न गुनहगार तुम्हारा

दर्द-ए-दिल-ए-आशिक़ की दवा कौन करेगा
सुनते हैं मसीहा भी है बीमार तुम्हारा

'जौहर' तुम्हें नफ़रत है बहुत बादा-कशी से
बरसात में देखेंगे हम इंकार तुम्हारा