फ़क़त जज़्बात को हलचल न देना
ख़ुशी देना तो पल-दो-पल न देना
हमारा आज ही उजला बना दो
चलो हम को सुनहरा कल न देना
बुज़ुर्गों की ये तस्वीरें हैं बच्चो
सियाही उन पे कोई मल न देना
यूँही बहता रहूँ कलकल हमेशा
मैं झरना हूँ मुझे जल-थल न देना
इसे सोना पड़ेगा पत्थरों पर
मिरे एहसास को मख़मल न देना
मिरे अहबाब को देना सभी कुछ
मुझे चाहे सुकूँ इक पल न देना
दुआ मेरी ख़ुदा से है 'रिशी' ये
अमल देना मुझे गो फल न देना
ग़ज़ल
फ़क़त जज़्बात को हलचल न देना
केवल कृष्ण रशी