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फ़न के शजर पर फल जो लगे हैं | शाही शायरी
fan ke shajar par phal jo lage hain

ग़ज़ल

फ़न के शजर पर फल जो लगे हैं

शहूद आलम आफ़ाक़ी

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फ़न के शजर पर फल जो लगे हैं
उन में ज़्यादा तर कच्चे हैं

कैसा ये कल-जुग आया है
लोग पड़ोसी से डरते हैं

झूट है सब आए थे फ़सादी
ये तो करिश्मे वर्दी के हैं

कितने दानिश-वर हो भय्या
जानने वाले जान रहे हैं

चीख़ के लहजा बोल रहा है
शेर 'शुहूद' आफ़ाक़ी के हैं