फ़ैसला हो गया है रात गए
लौटने वो गया है रात गए
वो सहर का सफ़ीर था शायद
रौशनी बो गया है रात गए
इश्क़ तू भी ज़रा टिका ले कमर
दिल भी अब सो गया है रात गए
वक़्त काँटे नए बिछाएगा
रास्ते धो गया है रात गए
चैन पड़ता नहीं 'नईम' तुझे
जाने क्या खो गया है रात गए
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ग़ज़ल
फ़ैसला हो गया है रात गए
नईम जर्रार अहमद