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फ़ाएदा आने से ऐसे आ के पछताएँ हैं हम | शाही शायरी
faeda aane se aise aa ke pachhtaen hain hum

ग़ज़ल

फ़ाएदा आने से ऐसे आ के पछताएँ हैं हम

मीर हसन

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फ़ाएदा आने से ऐसे आ के पछताएँ हैं हम
उठ गए जब याँ के गुज़रे आह तब आएँ हैं हम

और कुछ तोहफ़ा न था जो लाते हम तेरे नियाज़
एक दो आँसू थे आँखों में सो भर लाएँ हैं हम

तरफ़ा हालत है न वो आता है न जाता है जी
और यहाँ बे-ताक़ती से दिल की घबराएँ हैं हम

जिस तरफ़ जाते वहाँ लगता नहीं क्या कीजिए
इस दिल-ए-वहशी के हाथों सख़्त उकताएँ हैं हम

देखिए अब क्या जवाब आवे वहाँ से हम-नशीं
नामा तो लिख कर 'हसन' का उस को पहुंचाएँ हैं हम