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एक उदासी दिल पर छाई रहती है | शाही शायरी
ek udasi dil par chhai rahti hai

ग़ज़ल

एक उदासी दिल पर छाई रहती है

सैफ़ुद्दीन सैफ़

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एक उदासी दिल पर छाई रहती है
मेरे कमरे में तन्हाई रहती है

सीने में इक दर्द भी रहता है बेदार
आँखों में कुछ नींद भी आई रहती है

दिल-दरिया की थाह बताएँ क्या जिस में
सात समुंदर की गहराई रहती है

हम भी इसी बस्ती के रहने रहने वाले हैं
जिस में तेरी बे-परवाई रहती है

पहलू में अब 'सैफ़' मिरा क्या बाक़ी है
दिल है जिस में याद पराई रहती है