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एक पौदा जो उगा है उसे पानी देना | शाही शायरी
ek pauda jo uga hai use pani dena

ग़ज़ल

एक पौदा जो उगा है उसे पानी देना

क़ैशर शमीम

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एक पौदा जो उगा है उसे पानी देना
अपने आँगन को नई रुत की कहानी देना

तिरी आवाज़ से जब टूटे मिरे घर का सुकूत
दर-ओ-दीवार को भी सेहर-बयानी देना

पोंछ लेना मिरी पलकों से लहू की बूँदें
मिरी आँखों को अगर मंज़र-ए-सानी देना

कश्तियाँ देना मगर इज़्न-ए-सफ़र से पहले
ठहरे पानी को भी दरिया की रवानी देना

यूँ जलूँ मैं कि न शर्मिंदा रहूँ सूरज से
और कुछ और मुझे सोख़्ता-जानी देना

रेत पर नक़्श-ए-कफ़-ए-पा नहीं रहने पाते
अहल-ए-सहरा को कोई और निशानी देना