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एक मुद्दत से जो सीने में बसा है क्या है | शाही शायरी
ek muddat se jo sine mein basa hai kya hai

ग़ज़ल

एक मुद्दत से जो सीने में बसा है क्या है

ओबैदुर् रहमान

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एक मुद्दत से जो सीने में बसा है क्या है
कर्ब-ए-एहसास है या कर्ब-ए-अना है क्या है

दौर-ए-हाज़िर में हर इक शख़्स है क्यूँ सहमा हुआ
दिल में जो ख़ौफ़ है वो ख़ौफ़-ए-फ़ना है क्या है

मुझ को इस लफ़्ज़ का मफ़्हूम बता दो यारो
दोस्ती नाम है जिस का वो जफ़ा है क्या है

बात मतलब की कहूँ उस से मगर पहले ज़रा
ये तो मालूम हो वो ख़ुश है ख़फ़ा है क्या है

इस क़दर रंज-ओ-अलम इतने मसाइब तौबा
ज़िंदगी सिलसिला-ए-आह-ओ-बुका है क्या है

जो गिरफ़्तार हुआ इस में उलझता ही गया
ज़ुल्फ़-ए-जानाँ भी कोई दाम-ए-बला है क्या है

कितनी ही बार ये चाहा कि ज़रा देखूँ तो
उस की आँखों में जो इक नाम लिखा है क्या है