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एक इक से यही कहता हूँ बता मैं क्या हूँ | शाही शायरी
ek ek se yahi kahta hun bata main kya hun

ग़ज़ल

एक इक से यही कहता हूँ बता मैं क्या हूँ

सहबा वहीद

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एक इक से यही कहता हूँ बता मैं क्या हूँ
एक मुद्दत हुई मैं भूल गया मैं क्या हूँ

नक़्श-बर-आब सही आप बना आप मिटा
अब तलक हिलती है ज़ंजीर-ए-सदा मैं क्या हूँ

अपनी पहनाई में गुम-कर्दा निशाँ हूँ मैं भी
तू अगर है इसी दुनिया का ख़ुदा मैं क्या हूँ

एक तारीख़-ए-विलादत है मिरी एक वफ़ात
इन हक़ाएक़ के सिवा और बता मैं क्या हूँ

अब कहाँ ढूँढने जाओगे मुझे ऐ लोगो
हो चुका ख़ाक गई ले के हवा मैं क्या हूँ