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एक ही आवाज़ पर वापस पलट आएँगे लोग | शाही शायरी
ek hi aawaz par wapas palaT aaenge log

ग़ज़ल

एक ही आवाज़ पर वापस पलट आएँगे लोग

किश्वर नाहीद

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एक ही आवाज़ पर वापस पलट आएँगे लोग
तुझ को फिर अपने घरों में ढूँडने जाएँगे लोग

डूबते सूरज की सूरत मेरा चेहरा देख लो
फिर कहाँ बाब-ए-मआनी ढूँडने जाएँगे लोग

मत कहो क़िस्मत है अपनी बे-दिली नाग़ुफ़्तनी
फिर सहर होगी दरख़्शाँ फिर भले आएँगे लोग

पल झपकने तक है ये हंगामा-ए-वारफ़्तगी
जब नज़र से दूर होगे भूलते जाएँगे लोग

फिर नई ख़्वाहिश के ज़र्रों से बनाएँगे नगर
फिर नई रस्म-ए-तलब रस्म-ए-वफ़ा लाएँगे लोग

मुनहसिर रंगों की आतिश पर नहीं है दिलकशी
मैले कपड़ों में भी तुझ को देखने आएँगे लोग