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एक दिन न रोने का फ़ैसला किया मैं ने | शाही शायरी
ek din na rone ka faisla kiya maine

ग़ज़ल

एक दिन न रोने का फ़ैसला किया मैं ने

शहपर रसूल

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एक दिन न रोने का फ़ैसला किया मैं ने
और फिर बदल डाला अपना फ़ैसला मैं ने

दिल में वलवला सा कुछ चाल में अना सी कुछ
जैसे ख़ुद निकाला हो अपना रास्ता मैं ने

मुझ में अपनी ही सूरत देखने लगे हैं सब
जाने कब बना डाला ख़ुद को आईना मैं ने

उस को भी था कुछ कहना मुझ को भी था कुछ सुनना
और कुछ कहा उस ने और कुछ सुना मैं ने

कुछ ख़बर न थी मुझ को खिल रहा है कोई गुल
बस हवा का आईना देख ही लिया मैं ने

वक़्त ने हर आहट पर ख़ाक डाल दी 'शहपर'
कर दिया अदा आख़िर जिज़्या-ए-अना मैं ने